आमजन को नए पेड़-पौधे लगाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं लीला और मित्तल

अनिल कुमार शाक्य

श्रीगंगानगर जिले के 76 वर्षीय श्याम सुंदर लीला और 54 वर्षीय देवेंद्र मित्तल का सामाजिक और पारिवारिक परिचय जो भी हो, परंतु उनकी असली पहचान पेड़-पौधों के पैरोकार के रूप है। पर्यावरण प्रेमी के रूप में चर्चित श्री लीला और श्री मित्तल पिछले कई दशकों से गंगानगर जिले में आमजन को पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ नए पेड़-पौधे लगाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।

पर्यावरण पथिक के रूप में जिला मुख्यालय स्थित पुरानी आबादी के लीला चौक निवासी श्री श्यामसुंदर लीला ने 27 साल पहले जो सफर शुरू किया था, वह वर्तमान में अनवरत जारी है। अभी तक की यात्रा में श्री लीला हजारों पौधे लगा चुके हैं। पौधे लगाने के पश्चात वे इनकी समुचित तरीके से देखभाल भी करते हैं। ढाई दशक पहले श्री लीला ने मिर्जेवाला रोड स्थित ईंट भट्टे और रेलवे लाइन के पास 2 पौधे लगाए थे। इन पौधों को बड़ा होता देखा तो और ज्यादा संख्या में पेड़-पौधे लगाने की सोची। उसके बाद तो जैसे पेड़-पौधे लगाने और उनकी देखभाल करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया।

76 साल की उम्र में आज भी श्री लीला रोजाना बाल्टी से पेड़-पौधों में पानी लगाते हैं। उनकी इस अथक मेहनत की बदौलत ही क्षेत्र में फलदार और घनी छाया देने वाले पेड़ों की संख्या बढ़ रही है। सड़क के दोनों किनारों इन पेड़ों के नीचे आने-जाने वाले लोग बैठकर आराम भी करते हैं। पक्षियों और पशुओं के अलावा राहगीरों के लिए गर्मियों में शीतल पेयजल की व्यवस्था भी लीला परिवार की ओर से की गई है। इतना ही नहीं, यात्रियों के बैठने के लिए स्टैंड भी बनवाया है। अपने हाथों से लगाए पौधों को फलता-फूलता देख कर श्री लीला की आंखें खुशी से भर उठती हैं। उनका कहना है कि सभी लोगों को पेड़-पौधों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। प्रत्येक मनुष्य और परिवार अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए और उनकी देखभाल करे। अगर हम और आप ही पेड़-पौधों की रक्षा नहीं करेंगे तो कौन करेगा?

ऎसी ही भावना के साथ शेयर मार्केट से जुड़े व्यापारी श्री देवेंद्र मित्तल अपनी सामाजिक संस्था ‘‘आशादीप‘‘ के माध्यम से अभी तक 50 हज़ार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। तकरीबन 27 वर्ष पूर्व श्री मित्तल की आंखों की रोशनी चली गई। दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने प्रकृति और पर्यावरण पर मंडराये संकट को महसूस करते हुए पेड़-पौधे लगाने और लगवाने की ठान ली। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रितु और अन्य परिजन भी उनके साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए निरन्तर सक्रिय रहते हैं। विधि स्नातक श्री मित्तल बताते हैं कि सदियों से समाज में पेड़-पौधों की भूमिका बनी हुई है। इनका महत्व कम नहीं हुआ है, लेकिन इनके प्रति जागरूकता में कमी जरूर आई है। सभी को मिलकर पर्यावरण के प्रति जागरूक होना होगा और पेड़-पौधों के साथ-साथ प्रकृति का भी संरक्षण करना होगा।

‘‘आपणी सांझ‘‘ योजना के जरिए पेड़-पौधे लगाने की शुरुआत करने वाले श्री मित्तल की संस्था ‘‘आशादीप‘‘ वर्तमान में पेड़.पौधों के साथ-साथ ट्री गार्ड भी उपलब्ध करवा रही है। पर्यावरण के प्रति इस ललक और योगदान की वजह से श्री मित्तल राज्यपाल के हाथों राज्य स्तरीय पुरस्कार और जिला प्रशासन से भी सम्मानित हो चुके हैं। जिले की अनेक संस्थाएं समय-समय पर श्री मित्तल का सम्मान-अभिनंदन कर उनके योगदान को सराह चुकी हैं। विशेष रुप से गंगानगर के महाराजा गंगासिंह स्टेडियम में आशादीप ने जो काम किया है, वह काबिले तारीफ है। 10 साल पहले बंजर सा नज़र आने वाला स्टेडियम परिसर आज पेड़-पौधों से हरा-भरा है। संस्था के पास टैंकर, माली और नर्सरी है। नये पौधे लगाने से अधिक उनका प्रयास रहता है कि पुराने पौधों को संभाला जाए। उनकी सही तरीके से सार-संभाल हो ताकि वे बड़े हो सकें। इसी उद्देश्य के चलते ‘‘आशादीप‘‘ संस्था की ओर से शहर के अनेक मुख्य मार्गों, डिवाइडरों पर पौधे लगाए गए हैं या पूर्व में लगाए गए पौधों की सार. संभाल की जा रही है।

लगातार बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के खतरे और भीषण गर्मी के बीच श्री लीला और श्री मित्तल की पहल बेशक छोटी लगे, लेकिन उनकी सोच बहुत बड़ी है। इस सोच को अधिक से अधिक आमजन द्वारा अपनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि इसी की बदौलत न केवल पर्यावरण का संरक्षण होगा अपितु धरती भी रहने लायक बची रहेगी। उम्मीद कीजिए श्री लीला और श्री मित्तल जैसी जागरूकता का दायरा लगातार बढ़ता रहे ताकि आप और हम सबको सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा और धूप से बचने के लिए ठंडी छांव मिलती रहे।

India Edge News Desk

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